बैठक में योजनाएँ चमकीं, ज़मीनी हकीकत धुंधली।

सिंगरौली। कलेक्ट्रेट सभागार में कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला की अध्यक्षता में हुई जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति (DLCC) की बैठक एक बार फिर केवल समीक्षा और निर्देशों तक सीमित रह गई। बैठक में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं—सीसीएल, पीएमएफएमई उद्यम क्रांति, भगवान बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना, संत रविदास योजना व आचार्य विद्यासागर योजना—की प्रगति पर चर्चा तो हुई, लेकिन जमीनी हकीकत अब भी बदहाल है।
कलेक्ट्रेट सभागार में बुधवार को जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति (DLCC) की बैठक आयोजित किया गया। कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने तमाम योजनाओं की समीक्षा की, बैंकों को निर्देश दिए और पारदर्शिता पर ज़ोर भी दिया। कागज़ों पर सबकुछ बेहतर दिखा, लेकिन सवाल अब भी वही हैं—क्या बैठकें जनता की ज़िंदगी बदल रही हैं या सिर्फ़ आंकड़े रंगीन बना रही हैं? बैठक में सीसीएल, पीएमएफएमई उद्यम क्रांति, भगवान बिरसा मुंडा स्वरोजगार, संत रविदास और आचार्य विद्यासागर योजनाएँ चमकीं, पर लाभार्थियों की जेब अब भी खाली है। बैंकों को री-ई-केवाईसी में तेजी लाने का आदेश दिया गया, जबकि आम लोगों की परेशानी यही है कि “तेजी” सिर्फ़ बैठकों में सुनाई देती है, काउंटर पर नहीं। स्थानीय नागरिकों का व्यंग्य भरा सवाल है—”बैठकें हर महीने होती हैं, पर लाभ हर साल भी क्यों नहीं मिलता?” लगता है योजनाओं और ज़मीनी हालात के बीच की दूरी कम करने के लिए अब सिर्फ़ निर्देश नहीं, ठोस कार्रवाई की दरकार है।





